Type Here to Get Search Results !

BNSS की धारा-239 के अधीन अभियुक्त के पक्ष से आरोप में परिवर्तन की ईप्सा करते हुए आवेदन

BNSS की धारा-239 के अधीन अभियुक्त के पक्ष से आरोप में परिवर्तन की ईप्सा करते हुए आवेदन
काल्पनिक चित्र

BNSS की धारा:- 239 न्यायालय आरोप परिवर्तित कर सकता है :-

(1) कोई भी न्यायालय निर्णय सुनाए जाने के पूर्व किसी समय किसी भी आरोप में परिवर्तन या परिवर्धन कर सकता है।

(2) ऐसा प्रत्येक परिवर्तन या परिवर्धन अभियुक्त को पढ़कर सुनाया और समझाया जाएगा।

(3) यदि आरोप में किया गया परिवर्तन या परिवर्धन ऐसा है कि न्यायालय की राय में विचारण को तुरन्त आगे चलाने से अभियुक्त पर अपनी प्रतिरक्षा करने में या अभियोजक पर मामले के संचालन में कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है, तो न्यायालय ऐसे परिवर्तन या परिवर्धन के पश्चात् स्वविवेकानुसार विचारण को ऐसे आगे चला सकता है मानो परिवर्तित या परिवर्धित आरोप ही मूल आरोप है 

(4) यदि परिवर्तन या परिवर्धन ऐसा है कि न्यायालय की राय में विचारण को तुरन्त आगे चलाने से इस बात की संभावना है कि अभियुक्त या अभियोजक पर पूर्वोक्त रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तो न्यायालय या तो नये विचारण का निदेश दे सकता है या विचारण को इतनी अवधि के लिए, जितनी आवश्यक हो, स्थगित कर सकता है।

(5) यदि परिवर्तित या परिवर्धित आरोप में कथित अपराध ऐसा है, जिसके अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी की आवश्यकता है, तो उस मामले में ऐसी मंजूरी अभिप्राप्त किए बिना कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी जब तक कि उन्हीं तथ्यों के आधार पर, जिन पर परिवर्तित या परिवर्धित आरोप आधारित हैं, अभियोजन के लिए मंजूरी पहले ही अभिप्राप्त नहीं कर ली गई है।




पूरा प्रोफॉर्मा डाउनलोड करने के लिए ऊपर डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह प्रारूप केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है. यह किसी भी तरह से योग्य अधिवक्ता राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने अधिवक्ता से परामर्श करें. भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023  इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.